चिकित्सा ,वास्तुकला और विज्ञान के क्षेत्र में प्रकाश के उपयोग।
विज्ञान की दृष्टि से देखें तो प्रकाश ऊर्जा का एक प्रकार मात्र है, परंतु मानव जीवन की दृष्टि से यह उसके पृथ्वी पर अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण कारण है। सूर्य की गर्मी से लेकर चंद्रमा की शीतलता तक विभिन्न प्रकार से प्रकाश उत्पन्न होता है जो की धरती पर रात - दिन, वनस्पतियों एवं मानव जीवन को निर्धारित करता है। भारतीय संस्कृति में प्रकाश की महत्वता इस तर्क से जानी जा सकती है कि प्रकाश के दो महत्वपूर्ण केंद्र चंद्र एवं सूर्य को 'भगवान' की उपाधि दी जाती है और प्रकाश को एक सात्विक ऊर्जा की तरह देखा गया है शायद इसी कारण से मांगलिक कार्यो की शुरुआत दीप प्रज्वलित करके ही की जाती है जो की मानव जीवन में प्रकाश के अध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व को दर्शता है।।
कहा गया है-
'ॐ शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदः ।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिनमोऽस्तु ते ॥'
प्रकाश को विज्ञान का आधार भी कहा जा सकता है।
सभी जानते है कि किस प्रकार 'सर इसाक न्यूटन' के द्वारा सन् 1704 में प्रकाश की गति एवं उसके व्यवहार पर थ्योरी देने के बाद से विज्ञान की वृद्धि हर छेत्र में दोगुनी तेजी से हुई है।। आज कई चीजों का अनुमान हम प्रकाश की दूरी के अनुपात में निकालते हैं।। देखा जाए तो भौतिक विज्ञान पूर्ण रूप से इसी पर निर्भर करता है। प्रकाश की चाल के आधार पर विभिन्न सूक्ष्म कड़ो के व्यवहार का पता लगाना आज संभव है।।
संभवता इसी कारण प्रकाश की माहत्वता को जन जन तक पहुँचाने के लिए प्रति वर्ष '16 मई ' को अंतर्राष्ट्रीय प्रकाश दिवस मनाया जाता है।।
प्रकाश का प्रयोग चिकित्सा, वस्तुकला, भूविज्ञान आदि अनेक छेत्रो में ऊर्जा संचार, प्रयोग, अनुसंधान, श्रृष्टि की संरचना का अवलोकन आदि करने के लिए किया जाता है।
चिकित्सा के छेत्र में प्रकाश की ऊर्जा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विकास की सीढ़ियाँ चढ़ते चढ़ते आज हमने प्रकाश की ऊर्जा को इतने रूपों में प्रयोग करने की विधि जान ली है की आज सर्जरी के लिए चिकित्सको को चाकू ,छूरी, कैची आदि की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि वो प्रकाश की सूक्ष्म किरडो के द्वारा बाहर से ही शरीर के अंदर आत्मघाती कोशिकाओं को नष्ट कर देते है।। प्रकाश को अलग अलग भागों में उसके अलग अलग व्यवहार के अनुसार रखा गया है।। रेडियो तरंगे एम. आर. आई चित्रण के लिए इस्तेमाल की जाती है , विजिबल लाइट लेज़र के रूप मे सर्जरी आदि के लिए इस्तेमाल की जाती है।। इंफ्रारेड लाइट तापमान को बढ़ाने आदि के लिए एवं एक्स रे के लिए भी प्रकाश कि किरणों का प्रयोग होता है।।
वस्तुकला के छेत्र में प्रकाश अति आवश्यकता है।। प्रकाश को सकरात्मकता एवं सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। अनुकूल प्रकाश घर में होने से घर की सुंदरता बढ़ जाती है। आजकल बड़ी बड़ी इमारतों को एल. ई. डी आदि के माध्यम से सजाया एवं प्रकाशित किया जाता है। प्रकाश वस्तुकला में भावनात्मकता उत्पन्न करता है। वह उसकी बनावट, रंग, अलौकिकता की ओर दर्शको का ध्यान आकर्षित करता है।
वस्तुकला की बनावट के समय प्रकाश और कला में तालमेल रखना आवश्यक है जिससे कला के गुडों को बारीकी से बाहर लाया जा सके। उदाहरण के तौर पर बुर्ज खलीफा इसका एक उचित उदाहरण है।।
अतः प्रकाश और कला का तालमेल उसकी सुंदरता को निखारता है और प्रकाश के बिना कला केवल एक ढाँचा मात्र रह जाती है।।
प्रकाश भूविज्ञान की जातिलताओ को समझने में अति उपयोगी है। हम प्रकाश की तरंगों के द्वारा मिट्टी एवं किसी कड के समूह से कडो को आसानी से अलग कर उनके गुडो को समझ सकते हैं। कई खनिज पदार्थो की पहचान उनकी चमक को देखकर की जाती है जो की प्रकाश के कारण ही संभव है।। माइक्रोस्कोप के प्रयोग से प्रकाश की तरंगों द्वारा पदार्थ कितना पुराना है क्या है आदि पता लगाया जा सकता है।
मिट्टी और खेती के लिए भी इसका उपयोग होता है।
टोपोग्राफी से जगह के समुद्र तल से स्तर की जानकारी भी प्रकाश की एलेक्रोमैग्नेटिक तरंगों द्वारा संभव है। अल्ट्रा वॉयलेट तरंगों में खनिजों का चमकना भी उनकी पहचान कराता है।। अतः प्रकाश की अलग अलग तकनीको के इस्तेमाल से हम वह सब खोज लेते है जो इंसान अपनी आँखों से आसानी से नही देख पाता और इसलिए भूविज्ञान में इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है।
प्रकाश मानव जीवन के लिए एक वरदान है जिसका तकनीकी इस्तेमाल सीख कर मनुष्य ने बहुत से असंभव कार्य संभव किए है, और वह चाँद तक अपनी पहुँच दर्ज करा चुका है। इस वरदान के लिए मनुष्य एवं समस्त श्रृष्टि को प्रक्रति का कोटि कोटि धन्यवाद करना चाहिए।